
Am sharing a thought and a poem written by my brother, friend and an excellent teacher Narendrabhai Vasani. He considers himself as a student of Indian Philosophy and tries to awaken the spirit of Indianness through his poems. Today on the day of Vivekanand Jayanti, wishing you all a very Happy National Youth Day.
दुर्लभं त्रयमेवैतत् देवानुग्रहहेतुकम्।
मनुष्यत्वं मुमुक्षुत्वं महापुरुष संश्रयः॥
1) मनुष्यत्व,
2) मुमुक्षत्व, और
3) सत्पुरुषों का सहवास–
(ईश्वरानुग्रह करानेवाले महापुरुष)
ये तीन मिलना, अति दुर्लभ है ।
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‘भाई-बहन’ का संबोधन जब जग ने पहली बार सुना;
अमरीका की धर्म-सभा का गूँज उठा कोना-कोना।
सोया भारत पुनः जगाया स्वाभिमान लहराया;
जगतगुरु भारत के सुत को सबने शीश नवाया।
भोग विलास न जिसको भाया, सेवा का व्रत धारा;
संन्यासी योगी बन जिसने जीवन खूब सँवारा।
दीन हीन जन की सेवा को जिसने पूजा माना;
उन्हें ‘विवेकानंद’ नाम से सारे जग ने जाना।
- नरेन
स्वामी विवेकानंद जयंती की अनेकानेक बधाई…
💐😊🙏
Awesome.. Thanks for sharing.. 🙏🏼👍🏼😊👌🏼👏🏼👏🏼👏🏼….
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Welcome
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