अब द्वंद्वों के सामने दंटकर लडना होगा,
कंधे से कंधा, हांथो में हाथ मिलाना होगा।।
महाराणा शिवाजी के साथ जैसे चले,
आज सबको साथ साथ चलना होगा।।
आज फिर से मां संस्कृति ने पुकारा है,
आज फिर अपनी हड्डियों को मांगा है।।
नव दधिची बनकर यज्ञ में आहुति देकर
अपना अपना तन-मन वज्र बनाना है।।
Just wrote my feelings which I have been experiencing during the last few days. Would appreciate your comments…
👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
तिमिर मार्ग हो व दिशा कठिन हो
फिर भी दीपक बन जलना होगा
🔥
विधर्मियोके विभ्रम का विनाश करने हेतु
हमे ध्येय समर्पित होना होगा
🙏
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Wah wah…
Kya baat hai…
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Bohot pyari poem likhi hai apne.
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Ji Shukriya
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उत्तेजनपूर्वक कविता है। धन्यवाद।
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Tysm
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bhut khub
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Shukriya
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बहुत खूबसूरत!
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Shukriya
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बहुत ही खूबसूरत कुछ लिखने को प्रेरित करती बेहतरीन रचना लाजवाब।
हमने भी कुछ लिखा है आपकी कविता पढ़कर शायद आपको पसन्द आए—-/
भारत के लाल जगो तुम,
माता का संताप हरो तुम,
हे राणा,चौहान,शिवाजी के अनुचर अब जगना होगा,
वित्रासुर गर्जन करता बन पुनः दधीचि जलना होगा।
शूल भरी हो डगर,
धधकती दावानल की ज्वाला हो,
या जलजला हो राहों में या
घोर घिरी अंधियारा हो,
तुम पुरुषार्थी थम मत जाना,
अभिमन्यु बनकर दिखलाना,
हे एकलिंग महेश के अनुचर,चिर तिमिर पथ गढ़ना
होगा,
वित्रासुर गर्जन करता बन पुनः दधीचि जलना होगा।
तुम में ज्वाला दावानल की,
पवन-देव की तीव्र गति,
ताप भरा सूरज का तुम में,
प्रलयंकारी नीरनिधि,
गीदड़ों को जो शेर बनाता,
सवा लाख से एक लड़ाता,
जो चिड़ियों से बाज लड़ाता,
हे उस गुरुगोविंद का अनुचर,खुद को शेर समझना होगा,
वित्रासुर गर्जन करता बन पुनः दधीचि जलना होगा।
तुम खुद को कमजोर समझ मत,
तेरे अंदर शिव-शंकर,
तुझमें नानक,महावीर,
रविदास तुम्ही में ज्ञानेश्वर,
ज्ञान,बुद्धि,बल पाकर भी तुम,
कैसे राह भटक बैठे,
अपनो के सम्मुख ही कैसे,
मंदबुद्धि बन अड़ बैठे,
मूर्ख अगर ना अब सम्हलेगा,
समझ ले कुछ ना शेष बचेगा,
छोड़ अहम निद्रा से जागो,
अंतर्द्वंद्व त्याग रण साजो,
हे महावीर,बुद्ध के अनुचर अपना रूप बदलना होगा,
वित्रासुर गर्जन करता बन पुनः दधीचि जलना होगा,
राहें तेरी सत्य,अहिंसा,
उनका हिंसा,झूठ,कपट,
दया,प्रेम,करुणा दिल तेरे,
उनका दिल नफरत का घर,
जैसा को तैसा बन जाना,
गफलत त्याग काल बन जाना,
हे रघुवर,कान्हा के अनुचर,सज्ज-शस्त्र अब लड़ना होगा,
वित्रासुर गर्जन करता बन पुनः दधीचि जलना होगा,
वित्रासुर गर्जन करता बन पुनः दधीचि जलना होगा।
!!! मधुसूदन !!!
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Wah Dada
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🙏🙏
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